लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू
आज मैं आप से एक औरत की मनोदशा का वर्णन इस उपन्यास के माध्यम से कर रही हूं ।एक औरत के दर्द को एक औरत से अच्छा कौन लिख सकता है ।
आइए आप और हम सब मिलकर चंदा के जीवन में घटित घटनाओं को जीएं।
ढोलक की थाप साथ वाले घर में जोर से ढोलक पर पड़ रही थी इधर चंदा अपनी खाट पर पैरों में मुंह देकर सुबक रही थी ।ऐसा लग रहा था जैसे थाप उसके कलेजे को चीर रही हो। क्या क्या सपने लेकर वो इस घर में आई थी प्यार करने वाला पति मिलेगा , मां जैसी सास और पिता जैसे ससुर पर शादी के छह महीने बाद तक जब वो मां नहीं बन सकी तो सब लोग उस पर उंगली उठाने लगे ।सास तो बात बात पर बेटे की दूसरी शादी की धमकी देने लगी थी।ससुर मौन रहकर सास का साथ देते थे।चंदा अपनी कोठरी में पड़ी सुबकती रहती ।एक बार उसे बहुत तेज ज्वर चढ़ा।वो हाय राम,हाय राम करती रही सारी रात पर घर का कोई भी सदस्य दवा दारू तो छोड़ो पानी तक पूछने नहीं आया।
चंदा के नाक नक्श तीखे थे , सुरमई रंग ,गठीला बदन सभी गुण तो थे उसमें जो एक आदमी की जरूरत हो।
चुलहा चौंके में भी सिद्ध हस्त थी । अन्नपूर्णा का रुप थी।पर कद्र करने वाला कोई नहीं था।
क्या एक औरत का अस्तित्व जब ही पूरा होता है जब वो मां बन जाएं चाहें उसमें और कितने ही गुण है।वैसे भी गांव में कौन से बड़े डाक्टर बैठे थे जो पूरी अच्छे तरीके से जांच करते बस कमी चंदा में ही निकली ।हर बार गलती औरत की ही होती है चाहे पूरा गलत मर्द ही क्यों ना हो।
ढोलक लगातार बज रही थी।
बन्ने गाये जा रहें थे।
"बन्ना तो मेरा सरद पूनम का चांद रे।
चंदा फिर से ख्यालों में खो गई।
बच्चे की चाह उसे भी थी पर जब भगवान की मर्जी ना हो तो वो क्या करती। विशम्बर (चंदा का पति) भी सारा दिन उसके साथ गाली गलौज, मारपीट रखता था।चंदा सब जगह से व्यथित होकर प्यार के लिए कोई कोना ढूंढती तो विशम्बर की तरफ से सदा उसे मार ही मिलती।
एक दिन तो हद ही हो गई।चंदा सुबह सुबह जल्दी उठ जाती थी लेकिन उस दिन उसे उठने में देर हो गयी वजह विशम्बर था।सुबह तड़के शरीर की क्षुधा जागी और पहुंच गया चंदा की कोठरी में पति का हक लेने के लिए ।जिसके कारण चंदा और दिन से बस आधा घंटा देर से उठी थी तभी विशम्बर की मां दनदनाती चंदा की कोठरी में पहुंच गयी।बहू को यूं बेखबर सोया देखकर सारा तनबदन जल गया और चूल्हे से गर्म लकड़ी लाकर चंदा के पैर पर रख दी।चंदा बिलबिला उठी।
वह तुरंत स्नानघर की ओर भागी ।पैर बहुत जल चुका था।जैसे ही वो स्नानघर से बाहर निकली सास ने उसको गर्दन से पकड़ा और उसे घसीटते हुए देहरी के बाहर लाकर पटक दिया ।वह जोर से चिल्ला रही थी,"आजतक एक कीड़ा तक जना नहीं और चली है गृहस्थ बसाने।मेरे बेटे को तेरी कोई जरूरत नहीं है देखती जाना तुम्हारी आंखों के सामने दूसरी दुल्हनिया लाऊंगी।
चंदा रोती रही बिलखती रही पर उसकी सास टस से मस नहीं हुई।
दो दिन देहरी पर पड़ी रही रोती रही पर घर के किसी सदस्य ने मुड़ कर भी नहीं देखा।
गांव में हवेली से थोड़ी ही दूरी पर चचिया सास रहती थी ।बेचारी का एक ही बेटा था फौज में भर्ती हो गया था और एक दिन देश पर न्यौछावर होकर ही घर लौटा ।पूरा गांव उसकी जय जयकार में लगा था।ये बड़ा जलूस निकाला था श्मशान भूमि तक सरकारी सम्मान के साथ मुखाग्नि दी गयी। बड़ी गहमागहमी रही दो दिन तक सरकारी अफसरों की फिर धीरे-धीरे सब थम गया।बेचारे बुढ़ा बुढ़िया अकेले रह गये ।
अब तो विशम्बर की चाची से घर का काम धंधा भी नहीं होता था।गठिया ने अलग से जान घेर रखी थी उसकी ,बस डूबते को तिनके का सहारा मिल गया वह लाठी टेकती चंदा को पुचकारने चली आयी।
"चल मेरी लाड़ो! इस घर में तेरी किसी को ज़रूरत नहीं है।चल बहू ,मेरे घर चल बहू नहीं बेटी बना कर रखूंगी।"
चंदा की चचिया सास उसे पुचकारते हुए बोली।
एक तो पैर की ऐसी हालत ,जलने के कारण बहुत बड़ा फफोला पड़ गया था जो धक्का-मुक्की करने से कुछ जगह से फूट गया था ।चंदा के बड़ी लाज आ रही थी क्योंकि कि जब सास ने उसे घर से बाहर निकाला तो वो अस्त व्यस्त कपड़ों में थी। क्यों कि विशम्बर अपना पति का हक हासिल करके थोड़ी देर पहले बाहर निकला था। उन्हीं कपड़ों को समेटे हाथों से शरीर को ढंकते हुए दो दिन तक चंदा ससुराल की देहरी पर पड़ी रही।जब सांत्वना का हाथ उस ओर बढ़ा तो वो पिघल गयी और चचिया सास की छाती से लगाकर फफक पड़ी।
विशम्बर की चाची उसे सहारा देकर अपने साथ अपने घर ले गयी।
विशम्बर के पिता की और उसके चाचा की कभी नहीं बनी । विशम्बर के पिता हमेशा अपने पैसे के घमंड़ में रहे इधर विशम्बर के चाचा के यहां खाने पीने कि कमी नहीं थी पर ज़रूरत से ज़्यादा पैसा भी नहीं था ।एक ही बेटा था जो फौज में था जिसके कारण छाती चौड़ी करके पूरे गांव में घूमते थे।
चंदा ने कान दिए ढोलक की थाप का स्वर और तेज हो गया था।
आखिर ये ढोलक किसके घर में बज रही थी और चंदा उसे सुनकर क्यों विचलित थी ।ये जानेंगे अगले भाग में।
(क्रमशः)
HARSHADA GOSAVI
03-Jul-2023 03:07 PM
nice
Reply
RISHITA
30-Jun-2023 12:46 PM
nice
Reply
hema mohril
29-Jun-2023 07:20 PM
very nice mam
Reply